बछरावां रायबरेली-- स्थानीयं विकास क्षेत्र की प्राथमिक शैक्षणिक ब्यवस्था इतनी बद से बदतर एवम बेलगाम हो चुकी है उन्हें अधिकारियों केआदेश की भी कोई परवाह नहीं है मौजूदा समय मैं बछरावां के अधिकांश शिक्षक उच्चाधिकारियो के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए खंड शिक्षा अधिकारी को खुश रखना ही अपना धर्म मान चुके है इसका उदाहरण गति 31 अक्टूबर को देखने को मिला जब सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार लौहपुरुष सरदार पटेल की जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई जानी थी उच्चाधिकारियों के द्वारा इस आशय केनिर्देश भी दिए गए थे कीसभी विद्यालयों में आज 31 अक्टूबर का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाए इस आदेश के अनुपालन में परिषदीय विद्यालयों में सरदार पटेल जी की जयंती तो मनाई गई लेकिन कुछ विद्यलयों को छोड़कर शायद ही कहीं पूरा स्टाफ आया हो।कुछ अधिक चहेतों ने तो आज विद्यालय ही जाना उचित नही समझा तथा रसोइयों के द्वारा विद्यालय खुलवाकर जयंती के औपचारिकता पूर्ण करा दी।
इसी क्रम में दोपहर 12बजें तक बीआरसी केंद्र बछरावां भी बंद रहा तथा केंद्र के बाहर नव नियुक्ति शिक्षिकाएं अपने-अपने विद्यालयों की जानकारी लेने हेतु इधर उधर बैठी रहीं।इस संबंध में
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि अभी कुछ दिन पूर्व ही जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रायबरेली के द्वारा किये गए निरीक्षण में प्राथमिक विद्यालय रुस्तमखेडा में लगातार कई दिनों तक विद्यालय बंद तथा *राष्ट्रीय पर्व 2अक्टूबर2020 को भी विद्यालय बंद रहने की भी जमीनी हकीकत देखने के बावजूद कोई कार्यवाही न होने से* चहेतों के हौसलें बुलंद है।इस विकास क्षेत्र में केवल नियमित विद्यालय जाने वालों के लिए ही नियम कानून है। बाकी कुछ विद्यालय में शिक्षकों का वर्षों से अनियमित स्कूल जाना व उन पर कोई कार्यवाही न होना जरूर योगी जी की सरकार को उनके ही मातहत जमीनी स्तर पर उनको वास्तविक आईना जरूर दिखा रहें है। और भाजपा सरकार के ताबूत में कील ठोकने का कार्य कर रहे हैं!
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